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मुंबई से गूंजती भावनाओं की आवाज़ – कवि योगेश घोले

मुंबई, अप्रैल 10: कविता केवल शब्दों की सजावट नहीं होती, वह मन की गहराइयों से उपजी संवेदनाओं की झलक होती है। जब कोई कवि अपने मन की बातों को इस प्रकार शब्दों में ढालता है कि वे सीधे श्रोताओं और पाठकों के हृदय में उतर जाएँ, तो वह कवि एक साधारण रचनाकार नहीं रह जाता – वह एक अनुभूति बन जाता है। ऐसे ही कवि हैं योगेश घोले, जो आज पूरे मुंबई में अपनी अनोखी अभिव्यक्ति और सजीव प्रस्तुति के लिए चर्चा में हैं। इंस्टाग्राम @iamyogeshghole फॉलो करें।

योगेश घोले की पहचान केवल इंस्टाग्राम पर लिखे उनके शब्दों से नहीं, बल्कि उनकी बोलने की शैली, भावपूर्ण अभिव्यक्ति और श्रोताओं से जुड़ने की कला से भी होती है। जब वे प्रेम की कोमल भावनाओं, विरह की पीड़ा, या किसी प्रियसी की मासूम मुस्कान को अपनी कविताओं में उकेरते है तो श्रोताओं के मन मे उसकी प्यारी तस्वीर बनती हैं। श्रोता और पाठक न केवल उनकी कविता सुनते हैं, बल्कि उसे महसूस करते हैं, उसमें खुद को देखते हैं।

उनकी आवाज़ की मुलायमियत, उनकी आँखों की गहराई, और शब्दों के साथ खेलती उनकी मुस्कान – ये सभी मिलकर एक ऐसा प्रभाव रचते हैं, जो सीधे दिल में उतर जाता है। यही वजह है कि जब वे मंच पर बोलते हैं, तो हर उम्र के लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। उनकी कविताओं में एक खास बात है – वे केवल कहानियाँ नहीं होतीं, बल्कि वे एहसासों का आईना होती हैं। योगेश घोले लोकप्रिय ग़ज़ल मैफिल “क्या कहने” का हिस्सा हैं जो आज महाराष्ट्र भर में चर्चित हो रही है। यह शो सिर्फ एक मंचीय प्रस्तुति नहीं है, बल्कि एक अनुभव है – मोमबत्तियों की डिम लाइट में सुनहरे शब्दों के साथ भावनाओं से भरपूर यह शो चार शायर प्रस्तुत करते हैं। सुशांत रिसबूड यह इस मैफिल के क्रिएटर हैं। इसके आलावा उस्ताद गुलामअली खान, जगजीत सिंह जी जैसे कई नामवंत ग़ज़लकारों गायकों ने गायी ग़ज़ल भी प्रेक्षकों को सुनने मिलती हैं यह मैफिल एक अनुभव हैं और यह कई लोगों की ज़ुबानी हैं। इसकी अधिक जानकारी के लिए आप @_kyakehne से जुड़ सकते हो।

प्रेम और सौंदर्य की सजीव व्याख्या
योगेश घोले की कविताओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे प्रेम को बहुत सजीव, भावुक और सच्चे रूप में प्रस्तुत करते हैं। उनकी कविताओं में प्रेम एक भावना मात्र नहीं, बल्कि एक जीवंत पात्र बन जाता है। जब वे किसी प्रिय के स्पर्श की कल्पना करते हैं, या उसकी आँखों की भाषा को कविता में ढालते हैं, तो वह एक ऐसा अनुभव होता है जिसे हर दिल ने कभी न कभी जिया होता है।

जो छू लिया तूने मुझे कुछ इस तरह क्या_कहने_मैफिल
कुछ इस तरह की रहते भी दें सुकूँ
तू आज भी मेरे मैफिलों की जान हैं
आ भी जा गले तो मिल मेरे सुकूँ

उनकी लेखनी में कोई बनावटीपन नहीं है। वे बहुत सहजता से, सरल भाषा में इतने गहरे भाव व्यक्त कर जाते हैं कि पाठक या श्रोता को लगता है जैसे यह कविता उसी के लिए लिखी गई है। उनकी कविताओं में प्रियसी के हँसने का ढंग, रूठने की अदा, और चुप रहकर बहुत कुछ कह देने की कला को जब वे बयान करते हैं, तो शब्द जादू बन जाते हैं।

निष्कर्ष
योगेश घोले आज केवल एक कवि नहीं हैं, बल्कि हर उस दिल की आवाज़ बन रहे हैं जो कभी प्रेम में पड़ा, कभी टूटा, कभी फिर से जुड़ा। उनकी कविताएँ मंचों तक सीमित नहीं, बल्कि लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं। उनकी बोली में मिठास, शब्दों में सच्चाई और अंदाज़ में अपनापन है – यही उनके सबसे बड़े गुण हैं। “क्या कहने” मैफिल और उनकी काव्य प्रस्तुति ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर भावनाएँ सच्ची हों और अभिव्यक्ति ईमानदार हो, तो वह हर दिल तक पहुँचती है। योगेश घोले उसी सच्चाई और सौंदर्य का नाम हैं।

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