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वडील वंदना 4: मानवता और भक्ति के भव्य उमंग के साथ 3500 वृद्धजनों के चरणों में वंदन

Yuva Sanskruti Charitable Trust

युवा संस्कृति चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 1 जून 2025 को सूरत के पासोदरा में आयोजित हुआ ‘वडील वंदना 4’ कार्यक्रम, आशीर्वाद रूपी भव्य यज्ञ, लोकदायरा और संतों के पावन आशीर्वाद के साथ 3500 से अधिक वृद्धजनों की सेवा।

सूरत: युवा संस्कृति चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 1 जून 2025, रविवार को पासोदरा स्थित राधा रमण फार्म में भव्य “वडील वंदना – 4 ” कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
“वह क्षण भी भक्ति कहलाता है जब इंसान, इंसान के काम आता है” इस सूत्रवाक्य के साथ संचालित इस कार्यक्रम में लगभग 3500 वृद्धजनों को सम्मान, सेवा रूपी भाव, भोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सौगात देकर देवधारी परंपरा का जीवंत अनुभव कराया गया।

भव्य आयोजन और मूल्यवान सहयोग
इस भव्य सेवा यज्ञ में सूरत और सौराष्ट्र के अनेक उद्योगपतियों, समाजसेवकों और हृदयस्पर्शी दाताओं ने अहम भूमिका निभाई।

पावन सान्निध्य में संत समागम
कार्यक्रम को आध्यात्मिक ऊँचाई पर पहुँचाने वाले पावन सत्संग और आशीर्वाद हेतु परम पूज्य शेरीनाथजी बापू (गोरक्षनाथ आश्रम, जूनागढ़), पूज्य मूलदास बापू (राममढ़ी), पूज्य जेराम बापू (बगसरा), पद्मश्री कनुभाई टेलर और समाज के प्रमुखश्री कांजीभाई भालाला की उपस्थिति रही। संतों के आशीर्वादमय प्रवचनों से संपूर्ण सभा में भक्ति भाव प्रवाहित हुआ।

लोकदायरा और मनोरंजन
वृद्धजनों के मन की खुशी के लिए आयोजित लोकदायरे में लोकगायिका अल्पाबेन पटेल की सुरमयी प्रस्तुति और हास्य कलाकार हितेषभाई अंटाला के हास्य से मंच जीवंत हो उठा। कार्यक्रम का संचालन श्री हार्दिकभाई चांचड़ द्वारा किया गया।

वडील यात्रा का पुनर्मिलन रूपी अवसर
युवा संस्कृति चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा हर वर्ष 1 जून को “वृद्धजनों का सरकारी जन्मदिन” निमित्त यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। वडील यात्रा में जुड़े वृद्धजनों को पुनः मिलने का अवसर देने वाले इस कार्यक्रम में समाज में वृद्धजनों के प्रति सम्मान और करुणा को उजागर किया जाता है।

सेवा के सिद्धांतों पर आधारित कार्यक्रम
दान सेवाओं के इस आयोजन में भोजनालय, रामजी मंदिर, यज्ञशाला, वृद्धजनों का ओटला, भूमि दाताश्री तथा विभिन्न सहयोगी दाताश्रियों ने लाखों रुपये का योगदान देकर सेवा को जीवन मंत्र बनाया।

अंत में
“वह क्षण भी भक्ति कहलाता है जब इंसान, इंसान के काम आता है” – इस भावना को उत्कृष्ट रूप से साकार करता “वडील वंदना – ४” कार्यक्रम एक यादगार बन गया और समाज में मानवीय मूल्यों की फिर एक बार झलक मिली।

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